Vinayak Damodar Savarkar: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी और राष्ट्रभक्त
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वीर सावरकर: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी और राष्ट्रभक्त
वीर सावरकर जीवनी (Veer Savarkar Biography)
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वीर सावरकर का जन्म और प्रारंभिक जीवन (Birth and early life of Veer Savarkar)
वीर सावरकर का जन्म 26 फरवरी 1883 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के भगूर नामक गाँव में हुआ था। बचपन से ही वे बहुत तेज-तर्रार और क्रांतिकारी विचारों वाले थे। जब वे केवल नौ साल के थे, तब उन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से प्रेरित होकर अपने गाँव में बच्चों की एक छोटी सी सेना बना ली थी। उनका यह जुझारूपन आगे चलकर ब्रिटिश हुकूमत के लिए एक बड़ा खतरा साबित हुआ।
क्रांतिकारी गतिविधियाँ और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
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अभिनव भारत संगठन की स्थापना (Establishment of Abhinav Bharat Organization)
1904 में वीर सावरकर ने 'मित्र मेला' नामक संगठन की स्थापना की, जो आगे चलकर 'अभिनव भारत' के नाम से जाना गया। इस संगठन का उद्देश्य ब्रिटिश हुकूमत से स्वतंत्रता प्राप्त करना था।
अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष और गिरफ़्तारी (Struggle against the British and arrest)
वीर सावरकर ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को 'भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम' कहा और इस विषय पर एक विस्तृत पुस्तक लिखी। यह पुस्तक ब्रिटिश सरकार ने प्रतिबंधित कर दी थी।
1909 में ब्रिटिश कलेक्टर जैक्सन की हत्या के आरोप में उन्हें गिरफ़्तार किया गया।
1910 में उन्हें दो आजीवन कारावास (50 साल की सजा) सुनाई गई और अंडमान-निकोबार की सेलुलर जेल (काला पानी) भेज दिया गया।
वीर सावरकर जी पर भारत सरकार द्वारा जारी डाक-टिकट
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सेलुलर जेल की यातनाएँ (Cellular Jail tortures)
काला पानी की जेल में वीर सावरकर को अमानवीय यातनाएँ दी गईं। उन्हें नारियल के छिलके से रस्सी बनाने, बैलों की जगह तेल निकालने जैसी कठोर सजा दी गई। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और जेल की दीवारों पर पत्थरों से इतिहास और राष्ट्रवाद से जुड़े विचार उकेर दिए।
हिंदुत्व और सामाजिक सुधार (Hindutva and social reform)
वीर सावरकर केवल एक क्रांतिकारी ही नहीं थे, बल्कि वे समाज सुधारक भी थे। उन्होंने हिंदुत्व की विचारधारा को मजबूत किया और हिंदू समाज को संगठित करने का प्रयास किया। उनकी पुस्तक 'हिंदुत्व: हिंदू कौन है?' इस विचारधारा का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इसके अलावा, उन्होंने जातिवाद, छुआछूत और बाल विवाह जैसी कुरीतियों का भी विरोध किया।
भारत की स्वतंत्रता और वीर सावरकर (India's independence and Veer Savarkar)
1947 में जब भारत को स्वतंत्रता मिली, तब सावरकर को वह सम्मान नहीं मिला जिसके वे हकदार थे। उन्हें कई बार विवादों में भी घसीटा गया, लेकिन उनकी राष्ट्रभक्ति पर कभी कोई संदेह नहीं किया जा सकता। वे स्वतंत्र भारत में भी राष्ट्र निर्माण के कार्यों में लगे रहे।
वीर सावरकर का निधन (Death of veer savarkar)
26 फरवरी 1966 को वीर सावरकर ने 'आत्मसमर्पण मृत्यु' (Self-willed Death) का पालन करते हुए भोजन और पानी का त्याग कर दिया और इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
वीर सावरकर: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी और राष्ट्रभक्त – 10 रोचक तथ्य
2️⃣ अंडमान की सेलुलर जेल में दो आजीवन कारावास – सावरकर को 1910 में गिरफ्तार किया गया और दो आजीवन कारावास (50 साल की सजा) देकर काले पानी (सेलुलर जेल, अंडमान) भेज दिया गया। वहाँ उन्होंने भीषण यातनाएँ सही।
3️⃣ समुद्र में छलांग लगाकर भागने की कोशिश – जब उन्हें ब्रिटेन से भारत लाया जा रहा था, तो उन्होंने फ्रांस के समुद्री तट पर जहाज से छलांग लगा दी और भागने की कोशिश की, लेकिन उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया।
4️⃣ अभिनव भारत सोसाइटी की स्थापना – वीर सावरकर ने 1904 में "मित्र मेला" और 1905 में "अभिनव भारत सोसाइटी" की स्थापना की, जो ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियाँ संचालित करता था।
5️⃣ हिंदुत्व की अवधारणा के जनक – उन्होंने अपनी पुस्तक "हिंदुत्व – हिंदू कौन है?" के माध्यम से हिंदुत्व की विचारधारा को विस्तृत रूप में परिभाषित किया, जो आगे चलकर एक महत्वपूर्ण राजनीतिक दर्शन बना।
6️⃣ पहले भारतीय जिन्होंने इंग्लैंड में बम बनाने की ट्रेनिंग ली – वीर सावरकर ने लंदन में रहकर क्रांतिकारियों को बम बनाने की ट्रेनिंग दी और उन्हें स्वतंत्रता संग्राम के लिए तैयार किया।
7️⃣ भारत का पहला राजनीतिक कैदी – वीर सावरकर पहले भारतीय थे जिन्हें ब्रिटिश सरकार ने राजनीतिक गतिविधियों के कारण जेल में डाला और उन्हें "खतरनाक क्रांतिकारी" घोषित किया।
8️⃣ छुआछूत के खिलाफ अभियान – उन्होंने हिंदू समाज में छुआछूत के खिलाफ आंदोलन चलाया और सभी जातियों को एक समान स्थान देने की वकालत की।
9️⃣ गांधीजी की हत्या के मामले में आरोप लगे – 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद सावरकर पर भी साजिश रचने का आरोप लगा, लेकिन कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया क्योंकि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं थे।
🔟 स्वेच्छा से मृत्यु को स्वीकार किया – उन्होंने "आत्मार्पण मृत्यु" का पालन करते हुए 26 फरवरी 1966 को भोजन और पानी का त्याग कर दिया और देह त्याग दी।
👉 वीर सावरकर की देशभक्ति, क्रांतिकारी सोच और सामाजिक सुधारों के प्रति योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। जय हिंद! 🇮🇳
निष्कर्ष (conclusion)
वीर सावरकर का जीवन संघर्ष, त्याग और राष्ट्रभक्ति की अद्वितीय मिसाल है। वे केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे। उनकी क्रांतिकारी सोच और सामाजिक सुधार के प्रति योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। आज हमें उनके विचारों से प्रेरणा लेकर अपने राष्ट्र के विकास में योगदान देने की आवश्यकता है।
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