ज्वालामुखी कैसे फटता है? कारण और कुछा रोचक तथ्य जानें
कैसे फटता हैं ज्वालामुखी - (How do volcanoes erupt )
दुनिया भर में 500 से ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी हैं. इनमें से आधे से ज्यादा ‘रिंग ऑफ फायर‘ का हिस्सा हैं. ज्वालामुखी मैग्मा यानी पत्थर से मिलकर बना पहाड़ होता है. जब धरती के नीचे जियोथर्मल एनर्जी से पत्थर पिघलने लगते हैं तो नीचे से दबाव ऊपर की आता है. इसी दबाव से पहाड़ फटता है, जिसे ज्वालामुखी का फटना कहते हैं.
ज्वालामुखी कैसे फटता है?
किसे कहते हैं ज्वालामुखी (What is a volcano)
पृथ्वी की सतह के नीचे गर्म तरल चट्टान को मैग्मा के रूप में जाना जाता है, इसे ज्वालामुखी से निकलने के बाद लावा कहा जाता है। ज्वालामुखीय विस्फोट पृथ्वी की सतह से 30 km से अधिक ऊंचाई तक हवा में राख भेज सकते हैं। दुनिया का सबसे बड़ा सक्रिय ज्वालामुखी हवाई USA स्थित मौना लोआ ज्वालामुखी है जो 4,169 m उँचा है।
ज्वालामुखी के फटने से लावा बहता है तो साथ ही गर्म राख भी हवा के साथ बाहर आती है। और इन ज्वालामुखी से निकलने वाली राख में छोटे-छोटे कण होते हैं जिनसे क्षति पहुंच सकती है। इसके अलावा बच्चों और बुजुर्गों को सांस के द्वारा फेंफड़ों को इनसे खासा नुकसान पहुंच सकता है.
कितने प्रकार के होते हैं ज्वालामुखी (how many types of volcanoes are there)
सक्रियता के आधार पर ज्वालामुखी तीन प्रकार के होते हैं।
1. सक्रिय या जाग्रत ज्वालामुखी
अगर कोई ज्वालामुखी वर्तमान में फट रहा हो, या उसके जल्द ही फटने की आशंका हो,या फिर उसमें गैस रिसने, धुआँ या लावा उगलने, या भूकम्प आने जैसे सक्रियता के चिह्न हों तो उसे सक्रिय माना जाता है।
संसार के कुछ प्रमुख सक्रिय ज्वालामुखी (name of active volcanoes) हैं।
- हवाई द्वीप का मौना लोआ (Mauna Loa)
- सिसली का एटना (Mount Etna)
- स्ट्राम्बोली (Stromboli volcano)
- इटली का विसुवियस (Italy’s Vesuvius)
2. मृत ज्वालामुखी (Dead volcano)
यह वे ज्वालामुखी होते हैं जिनके बारे में अपेक्षा है कि वे फटेंगे नहीं। इनके बारे में यह अनुमान लगाया जाता है कि इनके अन्दर लावा व मैग्मा ख़त्म हो चुका है और अब इनमें उगलने की गर्मी व सामग्री बची ही नहीं है। अगर किसी ज्वालामुखी के कभी भी विस्फोटक प्रकार की सक्रियता की कोई भी घटना होने की स्मृति नहीं हो तो अक्सर उसे मृत समझा जाता है।
- माउंट की (Mount Kea)
- माउंट अरारत (Mount Ararat) इसके उदहारण हैं।
3. प्रसुप्त या सुप्त ज्वालामुखी (Dormant volcano)
कोई ज्वालामुखी कभी भी इतिहास में बहुत पहले फटा हो तो उसे सुप्त ही माना जाता है लेकिन मृत नहीं।
बहुत से ऐसे ज्वालामुखी हैं जिन्हें फटने के बाद एक और विस्फोट के लिये दबाव बनाने में लाखों साल गुज़र जाते हैं – इन्हें उस दौरान सुप्त माना जाता है।
मसलन तोबा ज्वालामुखी जिसके विस्फोट में आज से लगभग 70,000 वर्ष पूर्व भारतीय उपमहाद्वीप के सभी मानव मारे गये थे। और पूरी मनुष्य जाति ही विलुप्ति की कगार पर आ पहुँची थी, हर 3,80,000 वर्षों में पुनर्विस्फोट के लिये तौयार होता है। तामु मस्सिफ (Tamu Massif) इसका एक उदहारण हैं।
कितना होता है तापमान (what is the temperature )
ज्वालामुखी के खौलते हुए लावे का तापमान लगभग 1000 डिग्री सेल्सियस होता है। ये तापमान इतना है इतना गर्म होता है कि सतह पर गिरने से थोड़ा सा पहले ही किसी की मौत हो सकती है. यहां तक कि इसके किनारों का तापमान तक 500 डिग्री सेल्सियम के आसपास होता है, जो किसी को गंभीर रूप से जला सकता है. यानी बचना असंभव है लेकिन इस बात को एक अमेरिकी फौजी से गलत साबित कर दिय।
ज्वालामुखी के कुछ रोचक तथ्य
- भारत में केवल एक ही सक्रीय ज्वालामुखी मोजूद है जो“BaronIsland”पर मोजूद है।
- ज्वालामुखी के मुख को क्रेटर कहा जाता है।
- ज्वालामुखी के मुख को क्रेटर जब बड़ा हो जाता है कलुडोर कहा जाता है।
- दुनिया का सबसे सुन्दर ज्वालामुखी Fujia ज्वालामुखी जो की जापान में है जो एक सुप्त ज्वालामुखी है।
- ज्वालामुखी की वजह से भूकंप आते है।
- ज्वालामुखी की वजह से कई हजारो जिव - जानवर का अस्तित्व ख़तम हो चूका है।
- डॉर्मेंट ज्वालामुखी बहुत ही खरतनाक होता है।
दुनिया भर में 500 से ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी हैं. इनमें से आधे से ज्यादा ‘रिंग ऑफ फायर‘ का हिस्सा हैं।
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