पेन्सिल का इतिहास :- History Of Pencil

पेंसिल की कहानी (Story Of Pencil)

पेंसिल की खोज 1954 में हुई थी। इसे बनाने के लिए सबसे पहले ग्रेफाइट को शीट के आकार में काटा जाता था और फिर इसे गोल रॉड में ढालते थे। इसके बाद पेंसिल बनाने के लिए इस गोल रॉड को लकड़ी के गोल सांचे में फिट करते थे। 15वीं सदी के मध्य से पहले पेंसिल का इस्तेमाल केवल कलाकार ही करते थे। पेंसिल शब्द लैटिन के ‘पेनीसिलस’ से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है, छोटी पूंछ। और ग्रेफिट शब्द ग्रीक - भाषा से लिया गया है। जिसक मतलब होता है ," मैं लखता हूँ या कागज पर पिशान बनता हूँ ''। वर्तमान समय में ग्रेफाइट की प्राप्ति गड्ढे  एवं  जमीन के खदानों से की जाती है।

    पेन्सिल का इतिहास (History Of Pencil)

    पेन्सिल के अविष्कार को लेकर उपयोग होने वाले सबसे जरुरी ग्रेफाइट को लेकर इतिहासकारो का मानना है कि साल 1564 में इंग्लैंड में भयानक तूफान आया था। इस तूफान के कारण जंगलो में बड़े बड़े पैदा गिर गए थे। इस तूफान के बहुत दिन बाद जब चरवाहे अपने पशुओ के साथ जंगल में गए उन्हें देखा कि एक विशाल पेड़ जमीन पर गिरा है। उस पेड़ के उखाड़ने के कारण वह गड्ढा हो गया था कहरवाहो ने उस गड्ढे में देखा कोयले के जैसा दिखने वाला काले व भूरे रंग का बहुत अधिक मात्रा में पदार्थ देखा। 

    चरवाहों ने उस पदार्थ को कोयला समझा और जलने का प्रयास किया लेकि वह कोयले कि तरह नहीं जलाता था। जिसके बाद चरवाहों ने उस काले व भूरे पदार्थ को अपनी पशुओ पर निशान  बनाने व लिखने के रूप इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। इसके बाद से काले व भूरे रंग के पदार्थ का नाम ग्रेफाइट शब्द पड़ा और यहाँ शब्द ग्रीक भाषा के ग्रेफो - शब्द  से लिया गया था। जिसका मतलब '' निशान लगाना या मैं लिखता हूँ '' होता है।

    इसके बाद इंग्लैंड में ग्रेफाइट कि अधिक मात्रा में प्राप्त हुई और 16 वी सदी आते - आते लोगो ने लिखना सुरु कर दिया। जिसके कारण इस ग्रेफाइट को लिखने व निशान बनाने के ली बाजारों में बेचा जाने लगा जोकि ग्रेफाइट काफी नाजुक और नरम होती थी ,जिसके चलते लोगो में इसमें धागे एवं रस्सी बांधकर लिखना जारी रखा। 

    कुछ लोगो ने जुनिपर -पेड़ की लकड़ियों को तरासकर ग्रेफाइट को  लकड़ियों के बिच में रख कर गोंड से चिपका कर इस्तेमाल करने लगे। 

    पेंसिल का 18 रोचक तथ्य (18 Interesting Facts About Pencils)

    1.आधुनिक पेंसिल का आविष्कार फ्रांस में वर्ष 1795 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक निकोलस जैक्स कॉन्टे द्वारा किया गया था।

    2. पेंसिल का प्रयोग सबसे पहले 16वीं सदी में हुआ था।

    3. नाम पेंसिल लैटिन शब्द "पेंसिलस" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "छोटी पैंट ब्रश"।

    4. पेंसिल लकड़ी की छड़ों में बनाई जाती है, जो छड़ों के अनुसार विभिन्न मिश्रणों से तैयार की जाती है।

    5. होल रॉड का उपयोग पेंसिल की स्थिति और आवृत्ति को निर्धारित करने के लिए किया जाता है।

    6. पेन्सिल क्ले में ग्रेफाइट का प्रयोग होता है।

    7. पेन्सिल मिट्टी में कोयले के प्राकृतिक रूप को ग्रेफाइट कहते हैं।

    8. पेंसिल का सफेद भाग कभी घोड़े के बाल से बनाया जाता था।

    9. इरेज़र और पेन्सिल से गलतियाँ मिटाई जा सकती हैं।

    10. विजेताओं के लिए पहली बार पेंसिल बनाई गई थी, जो खराब होने पर मिट्टी से नहीं बल्कि रबर से मिटाई जाती थी।

    11. पेंसिल का मूल रंग काला था, जो आज भी उपलब्ध है.

    12. पेंसिल के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ज्यादातर मिट्टी विदेशी होती है।

    13. पेंसिल के लिए इस्तेमाल होने वाली ग्रेफाइट क्ले भी कुछ जगहों पर नाइट्रोजन से बनाई जाती है।

    14. पेंसिल की सामान्य मिट्टी का लगभग 20% हिस्सा ही ग्रेफाइट होता है।

    15. पेंसिल का इतिहास इंग्लैंड से शुरू होता है, जहां लोगों ने स्लेट पेंसिल बनाना शुरू किया.

    16. पेंसिल मैग्नेटिक शेप की होती है, जिससे इसे हथेली में अच्छे से पकड़ा जा सकता है.

    17. पेंसिल में विलियम और हम्बर्ट का नियम नामक एक महत्वपूर्ण भौतिकी गुण है।

    18.पेंसिल की जटिल तकनीक के कारण, यह केवल लिखने के लिए नहीं बल्कि चित्र बनाने और स्केच करने के उपयोग में लाया जाता है.


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