एफिल टॉवर का इतिहास | Eiffel Tower history

एफिल टॉवर दुनिया की सबसे मशहूर इमारतों में से एक है और फ्रांस के पेरिस शहर में स्थित है। यह भव्य एवं शानदार इमारत विश्व की प्रसिद्ध संरचनाओं में से एक है तथा विश्व पर्यटकों के समक्ष अपनी अद्भुतता एवं स्थानीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है। एफिल टॉवर का नाम फ्रांसीसी इंजीनियर गुस्ताव अइफ़िल के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने इसे डिजाइन किया और इसके निर्माण की योजना बनाई।

निर्माण योजना (Construction Plan)

अइफ़िल टावर को बनाने का प्रस्ताव सबसे पहले 1884 में पेरिस के मुख्य अभियंता गुस्ताव अइफ़िल द्वारा पेश किया गया था। इसे फ़्रेंच इंजीनियरिंग की उत्कृष्ट कृतियों में से एक माना जाता है और अइफ़िल ने इसे एक नए प्रकार की इमारत के रूप में डिज़ाइन किया था, जिसके निर्माण के लिए गढ़ा लोहे का उपयोग किया गया था। उन्होंने इसे एक शानदार लोहे की संरचना बनाने का निर्णय लिया, जो उस समय की एक अनोखी और अद्भुत रचना थी। इसे बनाने के लिए गुस्ताव अइफ़िल ने बड़े-बड़े फ्लैगपोल और ढालों का इस्तेमाल किया, जो इसे और भी खूबसूरत बनाते हैं।

    निर्माण प्रारंभ (Start Construction)

    अइफ़िल टावर का निर्माण 28 जनवरी 1887 को शुरू हुआ और इसे पूरा होने में लगभग दो साल लग गए।इस इमारत के निर्माण में लगभग 18,038 लोहे के खंभों का इस्तेमाल किया गया था।

    निर्माण का ऐतिहासिक महत्व (Historical Significance of Construction)

    अइफ़िल टावर को बनाने का मुख्य उद्देश्य फ्रांस की इंजीनियरिंग और विज्ञान को प्रदर्शित करना था। इससे फ़्रांस को अपनी इंजीनियरिंग के क्षेत्र में विश्व भर में सम्मान मिला और वह समृद्धि का प्रतीक बन गया। इससे पेरिस शहर को विश्व पटल पर पहचान मिली और यह फ्रांसीसी संस्कृति तथा ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक बन गया। अइफ़िल टावर की शानदार संरचना, ऊंचाई और विशालता ने इसे एक सांस्कृतिक प्रतीक, पेरिस और फ्रांस के लिए गौरव का विषय बना दिया है।

    अइफ़िल टावर का निर्माण फ्रांस के राष्ट्रीय उत्सव और फ्रांसीसी क्रांति की 100वीं वर्षगांठ को ध्यान में रखकर किया गया था। इसके निर्माण के बाद इसका आधुनिक दुनिया से जुड़ाव हो गया और इसे देखने के लिए दुनिया भर से लोग पेरिस आये। आज भी अइफ़िल टावर पेरिस का प्रमुख पर्यटक आकर्षण बना हुआ है और हर साल लाखों पर्यटक इसे देखने आते हैं और इसकी खूबसूरती को अपने अनुभवों में शामिल करते हैं।

    अइफ़िल टावर के निर्माण से पेरिस शहर को दुनिया की नजरों में एक महत्वपूर्ण स्थान मिला और यह एक विश्व-प्रसिद्ध शहर बन गया। अइफ़िल टावर की भव्य भव्यता और उसकी ऊंचाई ने दुनिया भर के लोगों को आकर्षित किया है और उन्हें फ्रांस की सांस्कृतिक विरासत और भव्यता का संदेश मिलता है।

    वहीं, अइफ़िल टावर के निर्माण ने फ्रांस को दुनिया में एक नई पहचान दी और यह इस बात का प्रतीक बन गया कि मानव उत्खनन और इंजीनियरिंग जीवन में किस ऊंचाई तक पहुंच सकता है। अइफ़िल टावर के निर्माण की उपलब्धि ने इंजीनियरिंग के क्षेत्र में फ्रांस की प्रतिष्ठा को बढ़ाया और इसे दुनिया भर में प्रशंसा का प्रतीक बना दिया।

    मुख्य तथ्य (Facts)

    ऊँचाई: अइफ़िल टावर की ऊँचाई एंटेना सहित लगभग 324 मीटर (1,063 फीट) है। इसके निर्माण के समय, यह दुनिया की सबसे ऊंची मानव निर्मित संरचना थी, और इसने केवल 41 वर्षों तक रिकॉर्ड बनाया, जब न्यूयॉर्क शहर में क्रिसलर बिल्डिंग 1930 में बनकर तैयार हुई थी।

    संरचना: यह टॉवर लोहे की इमारत है और इसमें तीन स्तर हैं। यात्रियों को लिफ्ट या सीढ़ियों से ऊपरी स्तर पर पहुंचा जा सकता है। पहले और दूसरे स्तर पर रेस्टोरेंट हैं, जबकि तीसरे स्तर पर पेरिस के पूर्ण दृश्य देखने की सुविधा होती है।

    वजन: इसका वजन लगभग 10,100 टन है, जो अविश्वसनीय डिजाइन और इंजीनियरिंग का प्रतिनिधित्व करता है।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने गुरुवार को घोषणा की कि भारत और फ्रांस प्रतिष्ठित एफिल टॉवर से शुरू होने वाले यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) भुगतान तंत्र का उपयोग करने पर सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा कि फ्रांस में भारतीय पर्यटक अब रुपए में भुगतान कर सकेंगे।


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