First train journey in India : भारत में पहली ट्रेन यात्रा
भारत में पहली ट्रेन यात्रा:First train journey in India
भारत में 16 अप्रैल 1853 को पहली यात्री ट्रेन बोरी बंदर (बॉम्बे) और ठाणे के बीच 34 किमी की दूरी पर चली थी। यह साहिब, सुल्तान और सिंध नामक तीन इंजनों द्वारा संचालित की गई थी। 16 अप्रैल 1853 को किया गया था, जब लगभग 400 यात्रियों को लेकर 14 रेल डिब्बे लगभग दोपहर 3.30 बजे बोरी बंदर से "एक विशाल भीड़ की जोरदार तालियों और 21 तोपों की सलामी के बीच" रवाना हुईं थी। यह शाम लगभग 4.45 बजे ठाणे पहुंची थी। यानी यह सफर इस ट्रेन ने एक घंटा 15 मिनट में पूरा किया था। अंग्रेजों ने भारत में रेलवे नेटवर्क की शुर्रुआत लोगों की जरूरत के लिए नहीं बल्कि अपने व्यपार के लिये बनया था।
पहली बार 1843 में भांडुप (Bhandup) की यात्रा के दौरान बॉम्बे सरकार के चीफ इंजिनियर श्री जॉर्ज क्लार्क (Mr. George Clark) को मिला था।कोलकाता और मद्रास में भी चली थी:Also worked in Kolkata and Madras
15 अगस्त 1854 को पहली यात्री ट्रेन हावड़ा स्टेशन से 24 मील की दूरी पर हुगली के लिए रवाना हुई। इस प्रकार ईस्ट इंडियन रेलवे के पहले खंड को सार्वजनिक यातायात के लिए खोल दिया गया जिससे पूर्वी हिस्से में रेलवे परिवहन की शुरुआत हुई।
दक्षिण में पहली लाइन 1 जुलाई 1856 को मद्रास रेलवे कंपनी द्वारा खोली गई थी. यह व्यासपदी जीवा निलयम (Vyasarpadi Jeeva Nilayam) (वेयासारपैडी) और वालाजाह रोड (Walajah Road) (आरकोट) के बीच 63 मील की दूरी पर चली थी।
उत्तर में 3 मार्च 1859 को इलाहाबाद से कानपुर तक 119 मील लंबी लाइन बिछाई गई थी। हाथरस रोड (Hathras Road) से मथुरा छावनी तक का पहला खंड 19 अक्टूबर 1875 को यातायात के लिए खोल दिया गया था। ये छोटी शुरुआत थी जो कि पूरे देश में रेलवे लाइनों के नेटवर्क के रूप में विकसित हुई। सन् 1880 तक भारतीय रेल प्रणाली का रूट माइलेज लगभग 9000 मील था।
कुछ अन्य तथ्य :some other facts
पहली रेलवे वर्कशॉप 1862 में बिहार के मुंगेर के पास जमालपुर में स्थापित की गई थी।यह धीरे-धीरे भारत की प्रमुख औद्योगिक इकाई में से एक बन गई, जिसमें लोहा और इस्पात फाउंड्री, रोलिंग मिल और बहुत कुछ था.
1864 में, दिल्ली जंक्शन, शहर का सबसे पुराना, यह एक प्रमुख स्टेशन और जंक्शन था और आज तक बना हुआ है। यह पहली बार 1864 में चांदनी चौक के पास स्थापित किया गया था जब हावड़ा,कलकत्ता से ट्रेनों का संचालन दिल्ली तक शुरू हुआ था।
जिसकी लखनऊ से कानपुर तक पहली लाइन अप्रैल 1867 में बिछाई गई थी।
1880 में दार्जिलिंग स्टीम ट्रामवे (बाद में दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे) ने सिलीगुड़ी और कुर्सेओंग (Kurseong) के बीच अपना पहला खंड शुरू किया। 1881 में लाइन को दार्जिलिंग तक बढ़ा दिया गया था।यह लाइन नैरो गेज पर संचालित हुई और 1999 में इसे विश्व विरासत का दर्जा दिया गया था। जो इस तरह का दर्जा पाने वाला एशिया का पहला रेलवे था।
भारतीय रेलवे में एक लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें