Ticker

5/recent/ticker-posts

चिल्का झील (Chilika Lake) – भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील का अद्भुत संसार और इसका इतिहास

Chilika Lake

 चिल्का झील : Chilika Lake 

चिल्का झील, ओडिशा राज्य में स्थित भारत की सबसे बड़ी और एशिया की दूसरी सबसे बड़ी खारे पानी की झील (lagoon) है। इसे ‘चिलिका झील ( Chilika Jheel ) के नाम से भी जाना जाता है । यह झील प्राकृतिक सुंदरता, जैव विविधता और धार्मिक-सांस्कृतिक महत्व का अनोखा संगम प्रस्तुत करती है। लगभग 1,100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली यह झील ओडिशा के पुरी, खोरधा और गंजाम जिलों में फैली हुई है। हर साल सर्दियों में दुनिया भर से लाखों प्रवासी पक्षी, खासकर साइबेरिया, रूस, मंगोलिया जैसे ठंडे देशों से यहाँ आते हैं, जिससे यह पक्षी प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग बन जाती है।

चिल्का झील का भौगोलिक और वैज्ञानिक परिचय

  • स्थान: ओडिशा राज्य, भारत
  • क्षेत्रफल: लगभग 1,100 वर्ग किमी
  • लंबाई: 70 किमी
  • चौड़ाई: 30 किमी
  • औसत गहराई: 3 मीटर
  • अधिकतम गहराई: 4 मीटर
  • जल प्रकार: मानसून में मीठा, बाकी महीनों में खारा
  • स्रोत: बंगाल की खाड़ी का हिस्सा, जो महानदी द्वारा लाए गए गाद से अलग होकर झील बना

भूवैज्ञानिक प्रमाण दर्शाते हैं कि चिल्का झील मूल रूप से बंगाल की खाड़ी का ही हिस्सा थी, जो अत्यंतनूतन युग (18 लाख वर्ष से लेकर 10,000 वर्ष पूर्व) में भू-परिवर्तनों के कारण एक अलग झील में परिवर्तित हो गई।

चिल्का झील की जैव विविधता

  • मछलियों की प्रजातियाँ: 225+
  • पक्षियों की प्रजातियाँ: 160+
  • प्रवासी पक्षी: साइबेरियन क्रेन, ग्रे हेरोन, फ्लेमिंगो, डक आदि
  • डॉल्फिन: इरावदी डॉल्फिन (Irrawaddy Dolphin) – विशेष रूप से झील में पाई जाती हैं
  • सरीसृप और उभयचर: लगभग 37 प्रकार – जिनमें मेढ़क, साँप, मगरमच्छ आदि शामिल हैं

खास बात: इरावदी डॉल्फिन विश्व में बहुत कम स्थानों पर पाई जाती है, और चिल्का झील उनमें से एक है।

प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग

सर्दियों में लगभग 12,000 किमी दूर से पक्षी उड़कर यहाँ आते हैं। ये पक्षी मुख्यतः निम्नलिखित स्थानों से आते हैं:

  • कास्पियन सागर
  • बैकाल झील
  • रूस, मंगोलिया, लद्दाख, मध्य एशिया और साइबेरिया

इन पक्षियों को देखने का सबसे प्रसिद्ध स्थान है नालबाना पक्षी अभयारण्य, जो चिल्का झील के बीच एक द्वीप पर स्थित है।

चिल्का झील घूमने का सबसे अच्छा समय :Best time to visit Chilka Lake

चिल्का झील घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च का होता हैं। क्योंकि इसी समय प्रवासी पक्षियाँ ( Migratory Birds ) यहाँ आती हैं। जनवरी के महीने में मकर मेला (मकर संक्रांति के समय) काली जी का दर्शन करने भक्त और तीर्थयात्री चिल्का आते हैं. देवी माँ काली का मंदिर चिल्का झील के काजली द्वीप पर स्थित हैं

अन्य मौसम में भी आप चिल्का झील घूमने जा सकते हैं। हर मौसम का अपना अलग ही मजा हैं. चिल्का झील को बरसात के मौसम में घूमने का अपना अलग ही मजा हैं। और गर्मी के मौसम में भी आप घूमने जा सकते हैं. सूर्योदय और सूर्यास्त के अनुभव यहाँ की यादगार बना देती है यहां मछलिया प्रचुर मात्रा में हैं।  

पर्यटन और देखने योग्य स्थल

चिल्का झील सिर्फ जैव विविधता ही नहीं, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और साहसिक गतिविधियों का भी केंद्र है।

 घूमने लायक जगहें:

  • नालबाना द्वीप - पक्षियों का अभयारण्य
  • कालिजाई मंदिर - झील के काजली द्वीप पर स्थित देवी माँ काली का प्रसिद्ध मंदिर
  • सतपाड़ा (Satapada) - डॉल्फिन देखने का प्रमुख स्थल
  • रामचंडी, ब्रह्मपुर, मंगलाजोड़ी - स्थानीय संस्कृति और प्रकृति के सुंदर स्थल

चिल्का झील कैसे पहुँचें? (How to Reach)

  • निकटतम हवाई अड्डा: भुवनेश्वर (Bhubaneswar Airport) - लगभग 100 किमी
  • निकटतम रेलवे स्टेशन: बलूगांव (Balugaon) और ब्रह्मपुर
  • सड़क मार्ग: भुवनेश्वर, पुरी और ब्रह्मपुर से नियमित बस और टैक्सी उपलब्ध

त्योहार और मेले:

मकर संक्रांति पर मकर मेला - जनवरी में हजारों तीर्थयात्री कालिजाई मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं।

चिल्का झील के बारें में रोचक तथ्य : Some interesting facts about Chilka Lake 

  • भूवैज्ञानिक साक्ष्य इंगित करता है कि चिल्का झील अत्यंतनूतन युग (18 लाख साल से पूर्व 10,000 साल तक) के बाद के चरणों के दौरान बंगाल की खाड़ी का हिस्सा था। 
  •  चिल्का झील 70 किमी  लम्बी तथा 30 किमी. चौड़ी और 3 मीटर गहरी है, इसकी अधिकत्तम गहराई लगभग 4 मीटर है. यह समुद्र का ही भाग है जो महानदी द्वारा लायी गई मिट्टी के जमा हो जाने से समुद्र से अलग होकर एक झील के रूप में हो गया है। 
  •  दिसम्बर से जून तक इस झील का जल खारा रहता है परन्तु बरसात के मौसम में इस झील का पानी मीठा हो जाता हैं।
  • लगभग सैकड़ो गावों में रह रहे, लाखों मछुआरों को आजीविका का साधन यह झील उपलब्ध कराती हैं।
  • चिल्का झील भारत की पहली ऐसी भारतीय झील है, जिसे सन् 1981 ई. में, रामसर घोषणापत्र के मुताबिक ‘अंतरराष्ट्रीय महत्व की आद्र भूमि‘ के रूप में चुना गया।
  •  प्रवासी पंछी लगभग 12 हजार किमी. से भी ज्यादा की दूरियाँ तय करके चिल्का झील आते हैं।
  • चिल्का झील को 32 किमी. लंबी, संकरी, बाहरी नहर इसे बंगाल की खाड़ी से जोड़ती है।
  • इस झील में डॉलफिन ( Dolphin ) भी पायी जाती हैं, यह इरावदी डॉलफिनों का भी घर हैं।
  •   इस खाड़ी में लगभग 160 प्रजातियों के पछी पाए जाते हैं।

चिल्का झील (Chilika Lake)

  •  एक सर्वेक्षण के अनुसार, इस झील में लगभग 45% पंछी (भूमि), 32% जलपंछी और 23% बगुले हैं. यहाँ पर लगभग 37 प्रकार के सरीसृप ( इसके अंतर्गत मेढ़क, साँप, छिपकली, मगरमच्छ आदि आते हैं) और उभयचर निवास करते हैं।
  •  कैस्पियन सागर ( Caspian Sea ), बयकाल झील ( Baikal Lake ), अरब सागर ( Arabian Sea ) और रूस ( Russia ), मंगोलिया ( Mongolia ), लद्दाख ( Ladakh ), मध्य एशिया ( Central Asia ) आदि विभिन्न दूर दराज़ के क्षेत्रों से यहाँ पछी उड़ कर आते हैं।
  •  गोलाबाई गांव तीन चरणों में चिल्का क्षेत्र संस्कृति के एक दृश्य का सबूत प्रदान करता है।
  •  चिल्का झील का जल निकासी कुण्ड पत्थर, चट्टान, बालू और कीचण के मिश्रण के आधार से निर्मित है। लेकिन बड़ा हिस्सा कीचण का ही है।  

निष्कर्ष

चिल्का झील एक ऐसा स्थान है जहाँ प्रकृति, संस्कृति और जीवन एक साथ चलते हैं। यह न केवल ओडिशा की शान है, बल्कि भारत की जैव-विविधता की विरासत का एक अभिन्न हिस्सा भी है। चाहे आप पक्षियों के दीवाने हों, प्रकृति प्रेमी हों, या धार्मिक आस्था रखते हों – चिल्का झील हर किसी के लिए खास अनुभव लेकर आती है।

अन्य पढ़े :

 

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

  1. भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील चिल्का झील सच में एक प्राकृतिक चमत्कार है। प्रवासी पक्षियों का बसेरा और सुंदर नज़ारे इस जगह को अनोखा बनाते हैं। धन्यवाद www.historyfact123.blogspot.com इस लेख को साझा करने के लिए 😊

    जवाब देंहटाएं