दुनिया की सबसे पुरानी आईलाइनर पेंसिल: कोहल का इतिहास
दुनिया की सबसे पुरानी आईलाइनर पेंसिल: कोहल का इतिहास
The World's Oldest Eyeliner Pencil: The History of Kohl
परिचय :
आज के फैशन की दुनिया में आईलाइनर(Eyeliner) एक आम सौंदर्य (Beauty) उत्पाद है, लेकिन क्या आपको पता है कि इसका इतिहास हजारों साल पुराना है? प्राचीन मिस्र से लेकर मेसोपोटामिया तक, आईलाइनर का उपयोग न केवल सुंदरता के लिए, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक (Cultural) उद्देश्यों के लिए भी किया जाता था। इस लेख में हम दुनिया की सबसे पुरानी आईलाइनर पेंसिल के बारे में जानेंगे, जो इतिहास के पन्नों में गहराई से जुड़ी हुई है।
सबसे पुरानी आईलाइनर पेंसिल कहाँ मिली है?
सबसे पुरानी आईलाइनर पेंसिल या कोहल (Kohl) पेंसिल मिस्र में मिली है। मिस्रवासियों ने लगभग 4000 ईसा पूर्व से कोहल का उपयोग करना शुरू किया था। यह पेंसिल "सैरा आकाश" के रूप में जानी जाती थी और इसे नील नदी के किनारे के क्षेत्रों में पाए जाने वाले प्राकृतिक खनिजों (Minerals) से बनाया जाता था। पुरातत्वविदों (Archaeologists) ने मिस्र के फिरौन और राजघरानों की कब्रों (Graves) में इस तरह की आईलाइनर पेंसिल के अवशेष पाए हैं।
इन कोहल पेंसिलों को काजल (Lampblack) के रूप में भी जाना जाता है, और ये मुख्य रूप से चेहरे की सुंदरता को बढ़ाने के लिए आंखों के चारों ओर लगाने के लिए उपयोग होती थीं। इसे "लिडिटो स्टोन" या "गैलेना" नामक खनिजों से तैयार किया जाता था
कोहल का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
प्राचीन मिस्र के लोग कोहल का उपयोग केवल सौंदर्य के लिए नहीं करते थे, बल्कि कई धार्मिक(Religious) और चिकित्सीय (Therapeutic) कारणों से भी करते थे। मिस्र के लोग मानते थे कि कोहल (Kohal) लगाने से आंखों की रक्षा होती है और बुरी आत्माओं (Spirits)और बीमारियों से बचाया जा सकता है। इसके अलावा, मिस्रवासी आंखों को धूप से बचाने के लिए भी कोहल का उपयोग करते थे, क्योंकि वे रेगिस्तानी क्षेत्रों में रहते थे, जहां धूप की तेज चमक से आंखों को नुकसान हो सकता था।
आईलाइनर के शुरुआती उपयोगकर्ता: क्लियोपेट्रा (Cleopatra)
मिस्र की रानी क्लियोपेट्रा, जिन्हें प्राचीन इतिहास की सबसे प्रसिद्ध महिलाओं में से एक माना जाता है, ने अपने सुंदर आंखों के लिए कोहल का बड़े पैमाने पर उपयोग किया था। उनके समय में आईलाइनर या कोहल का उपयोग उच्च वर्ग की महिलाओं के द्वारा किया जाता था। क्लियोपेट्रा के आईलाइनर का गहरा रंग और आंखों के किनारों को खींचकर बनाया गया लंबा लुक, आज भी सौंदर्य और फैशन की दुनिया में प्रेरणा स्रोत बना हुआ है।
आईलाइनर पेंसिल का विकास
समय के साथ-साथ आईलाइनर पेंसिल और कोहल का उपयोग दुनिया के अन्य हिस्सों में भी फैल गया। प्राचीन मेसोपोटामिया और रोम में भी इसे सुंदरता और सम्मान का प्रतीक माना गया। मध्य युग में यह अरब और दक्षिण एशिया के क्षेत्रों में फैल गया, जहां इसे 'काजल' कहा गया। आज, आईलाइनर के रूप में कोहल का उपयोग आधुनिक फैशन और सौंदर्य उत्पादों में बड़े पैमाने पर किया जाता है।
आधुनिक आईलाइनर का जन्म
आधुनिक आईलाइनर का आविष्कार 1920 के दशक में हुआ, जब फिल्मों के ग्लैमरस (Glamorous) सितारों ने इसे इस्तेमाल करना शुरू किया। यह लिक्विड फॉर्म में उपलब्ध हुआ और धीरे-धीरे पूरे पश्चिमी दुनिया में फैल गया। हालांकि, इसका मूल स्रोत प्राचीन मिस्र में ही था, जहां हजारों साल पहले इसे कोहल के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
महत्वपूर्ण रोचक तथ्य
- विश्व की सबसे पुरानी आईलाइनर पेंसिल या कोहल लगभग 4000 ईसा पूर्व मिस्र में मिली थी।
- कोहल का उपयोग केवल सुंदरता के लिए नहीं, बल्कि आंखों को बुरी आत्माओं और बीमारियों से बचाने के लिए भी किया जाता था।
- कोहल पेंसिल मुख्य रूप से गैलेना नामक खनिज से बनाई जाती थी, जो सीसा और सल्फर का प्राकृतिक यौगिक है।
- मिस्र के लोग आईलाइनर का उपयोग आंखों को तेज धूप से बचाने के लिए भी करते थे।
- क्लियोपेट्रा ने आईलाइनर या कोहल का बड़े पैमाने पर उपयोग किया, और उनकी आंखों की स्टाइल आज भी फैशन में लोकप्रिय है।
- आईलाइनर पेंसिल के अवशेष मिस्र के फिरौन और रानियों की कब्रों में पाए गए हैं।
- प्राचीन मिस्र में आईलाइनर का उपयोग उच्च वर्ग के पुरुषों और महिलाओं द्वारा समान रूप से किया जाता था।
- कोहल का उपयोग प्राचीन मेसोपोटामिया और रोम की सभ्यताओं में भी किया जाता था।
- आधुनिक आईलाइनर का आविष्कार 1920 के दशक में हुआ, जब इसे फिल्मी सितारों ने लोकप्रिय बनाया।
- आईलाइनर और कोहल का उपयोग आज भी फैशन और सौंदर्य उत्पादों में किया जाता है, जो प्राचीन मिस्र की सभ्यता से प्रेरित है।
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